बाबु, फिरंगी बना कैसे
पहले तो था केवल बाबु
नाम का था इंजीनियर
मजदुर था वो प्लांट के बाजु
एक दिन सूझी उसको खुराफात
मार के लगी लुगाई नौकरी को लात
आ पहुंचा बैंगलोर एक रात
बोला अब सोफ्टवेयर ही मेरी जात
पहले दोस्तों संग दोस्ती निभाई
पराठो और दारू में बचत गवाई
आईने ने एक दिन हकीकत दिखाई
बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ जब थोड़ी अकल आई
बना के रेज़ुमे बड़ा वाला
थोड़ा सच थोड़ा झुट वाला
खटखटाया हर कम्पनी का दरवाजा
लेकिन कोई न खोले उसके लिए ताला
एक स्टार्ट अप ने बोला अंदर आ जाओ
पैसे का छोड़ो काम में मन लगाओ
थोड़े दिन तो ऐसे ही बाबु का मन बहलाया
लेकिन फ़िर उसे अमेरिका जाने का भुत सताया
इस बार और भी बड़ा रेजुमे बनाया
सच कम कर झुट का वजन बढाया
अमेरिका भेजने वाली कम्पनी में नौकरी भी पाया
लेकिन हर प्रोजेक्ट में मैनेजर ने उसको बुध्धू बनाया
इधर घर में हो रहा था हलाकान
उनका लड़का हो गया था जवान
दोस्त उसके अपनी शादी का कार्ड छोड़ जाते
उसके माता पिता को उसकी शादी की याद दिलाते
बाबु ने भी थी कसम खायी
जब तक पासपोर्ट पर न सील लगवाई
शादी के फेरे न लूँगा मैं
चाहे पुरी दुनियां की लड़कीयां बन जाये परजाई
सब्र का फल मीठा होता हैं
हर ऐरे गैरे का भी दिन होता हैं
अमेरिका पहुँच गया वो अतलंगी
बाबु से बन गया बाबु फिरंगी
अब चहु ओर फैला उसका चर्चा
डालर में जो हो रहा था खर्चा
शादी की भी उसने अब सोची
घरवालो ने एक सुन्दर सी कन्या खोजी
थोड़ी चैटिंग फ़िर फ़ोन लगाया
फेसबुक में भी फ्रैंड बनाया
उसका आव भाव बाबु को भाया
उससे मिलने वो इंडिया आया
अब हो जाएगी शादी ऐसी थी आशा
आखिर उसके पास था वर्किंग वीसा
क्यूँ कोई उसको पसंद ना करेगा
ऐसा होनहार लड़का कहाँ मिलेगा
कॉफी शॉप में लगा था मेला
मेले के बीच खुश था अलबेला
पहली मुलाकात प्यार था पहला
क्या पता था कटेगा उसका केला
कन्या ने पहले तो शौक एवं रुचियों का राग सुनाया
फ़िर अपने उसके घरवालो का महाकाव्य पढवाया
फ़िर बोली लगे तुम अच्छे, मन के सच्चे, लेकिन एक बात बताऊ
पहले से थी ठान रखा हैं, विदेश में रहने वाले के साथ न ब्याह रचाऊ
बाबु, फिरंगी बना था कैसे
जोड़ तोड़ और जैसे तैसे
आज इसी ने उसको लुटवाया
मन के मीत ने उसको ठुकराया