भाषणों से उद्देलित हो कर
तुच्छ चिंगारी में ज्वलित हो कर
भीड़ की आंधी बन जाते हो
भारत के निर्माता तुम
कैसे अन्यायी लोगो के हाथों
आखिर प्यादे बन जाते हो
पाखंडी चेहरों को देखना सीखो
छुपे उद्देश्य को जानना सीखो
छोड़ के अपनी चिर निद्रा
भारत के वीर अब तो जागो
भारत का स्वर्णिम इतिहास
दबा रहे कैसे किताबो में
जो सोचा होता यहीं आज़ाद ने
क्रांति के अध्याय कैसे जुड़ पाते
न रहो पढ़ते सही गलत के चिट्ठे
उचित अवसर की राह न देखो
समय सदा उचित ही रहता
देश हित में कुछ नया गड़ने को
अपना स्वर्णिम भविष्य मांगो
भारत के वीर अब तो जागो
जन्म लिया स्वतंत्र धरती पर
फ़िर भी दुराचार की है पराधीनता
बिस्मिल जैसा नहीं तुम्हे संताप
फ़िर भी हर युग की होती अपनी चिंता
जो ना कर सकते त्याग भगत सा
पुष्प कुमार भी ना बन बैठो
जितना साहस हो उतना लेकर
बेहतर भारत की ओर कुच करो
देश हित में अब ललकार करो
भारत के वीर अब तो जागो
पूछ सकते हो सवाल बहुत
बूढी होती पीढ़ियों को
जान सको तो जानो
उनकी की हुई गलतियों को
आने वाली पीढियां पूछेगी कितने सवाल
आज ही सारे उनके जवाब लिख दो
फ़िर से वहीँ काली रात ना आये
हृदय जलाकर कर सूर्य बनो
सूर्य न बन सकते तो दिए बन जाओ
भारत के वीर अब तो जागो
1 comment:
Bahut khub.... !!
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