About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Friday, November 30, 2012

शादी की बात - २


सलमान शाहरुख जैसा कोई नहीं दीखता 
एक भी लड़का मेरे मन को नहीं भाता 
फिर भी माता पिता ने है रट लगाईं
बेटा तेरी विदाई की हैं बेला आयी  
मैंने भी पहले नारी जीवन की sympathy गिनाई  
लेकिन भविष्य और सामाज की बात पर उन्होंने हामी भरवाई 

पिता जी खो गए ये बताने में 
कैसे जुगत लगाईं थी माँ को देखने में 
तब घर के बड़े ही देख आते थे 
लड़के तो सीधे मंडप में ही मिल पाते थे 
माता जी भी कुछ कम घबराई न थी
सहमी सहमी सारे मेहमानों के सामने आयी थी 
लेकिन मैंने कह दिया मेरी पसंद होगी जरुरी 
जब तक मिलेगा न मन भाया रह जाउंगी कुवांरी 

घर वाले फिर करने लगे तरह तरह की बाते 
कभी लड़के तो कभी उसके घर वालो के गुण हैं गाते 
पासपोर्ट, क्लोज अप या फेसबुक से फोटो दिखलाते 
हर फोटो में अपनी बेटी का न जाने कैसे भविष्य देख आते 

मैं तो खोज रही एक सपनो का राजकुमार 
सलमान शाहरुख न सही हों अर्जुन रामपाल 
क्यूँ ये लड़के हैं ये ऐसे बिगड़े बिगड़े 
क्या फिल्म वाले सब झूट ही दिखाते 
अभी भी तलाश जारी हैं 
क्यूंकि शादी की बात का पार्ट थ्री बाकी हैं 

शादी की बात