ख़ुशी या गम सब तेरे ही
मैं कोई अहसास न जानु
जानी अनजानी मंजिले तेरी ही
मैं तो आवांरा रास्तो पर भटकू
कहता फिरता इधर उधर की
मैं खुद अपने बारे में न जानु
अर्थ जो निकल पाए वो तेरे ही
मैं तो बस शब्दों का जाल बिछाऊ
होली में शब्दों के रंग उड़ा दू
राखी में शब्दों के धागे बांधु
दीपक दिवाली में शब्दों के जलाऊ
मिठाई की जगह मीठी बात बताऊ
त्योहारों के मज़े सारे तेरे ही
मैं तो बस तुझको याद दिलाऊ
जितनी यादें जहन में आये वो तेरी ही
मैं तो बस शब्दों का जाल बिछाऊ
बनते बिगड़ते रिश्ते तेरे ही
मैं तो बस रिश्तो की बात बताऊ
रूठने मनाने के बहाने तेरे ही
मैं तो बस पुराने पन्ने पलटाऊ
मेरा एक ही रिश्ता शब्दों संग यारी
बस मैं अपना रिश्ता इनसे निभाऊ
शब्द जो रिश्ते बचा पाए वो तेरे ही
मैं तो बस शब्दों का जाल बिछाऊ
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