साली ने पुछा दीदी से
मेरी सगाई और जीजा नहीं आये
कहते थे आधी घरवाली
क्या मेरे वियोग के दुःख से नहीं आये
कहना उनसे मैं थी रूठी
अब मुझको मनाने फ़िर से ना आये
मेरे प्रियतम भी दामाद बने
अब पहले सा ना अपना रुबाब दिखाए
आते वो भी साथ
मगर हालत कुछ ऐसे बन गए
आना पड़ा मुझे अकेला
वो अपनी साली की सगाई में नहीं आये
दीदी बोली अपनी व्यथा
मुझको भी बड़े शहर में अकेले छोड़ गए
क्या कहू मैं तुमसे बहना
तुम्हारे जीजा तो है विदेश गए
1 comment:
I dedicate your poem to my loving Husband :P
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