About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Tuesday, July 16, 2013

ओ मुसाफिर

ओ मुसाफिर

मैं तेरी मंजिल 
तेरी नज़रों से ओझिल 
मेरे बिन तू हैं अधूरा
क्यूँ फिरे बनके फकीरा 
अपनी आखों से पूछ मेरा पता 
जिन्होंने संभाल के रखा 
तेरे वजूद का हिस्सा 
जो तू कहीं भुला बिसरा 
तू कहीं थक न जाना 
उम्मीद को न खोना  
तेरी आने की चाह में 
सपने बिछाए तेरे राहों में 
मुझ तक पहुँचने के
इशारे हैं मैंने छिपाए
बस हर कदम ये याद रखना
जो पूरा किया वो ही फासला
जो आगे हैं वो मेरी बंदगी
तुझसे ही पूरी हैं मेरी जिंदगी 

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