आखों में शरारत
और होठों से बहाने बनाया ना करो
जुल्फों को बांधो
हवां के साथ यूँ उड़ने दिया ना करो
ओ हुस्न की मलिका
इस तरह सामने आया ना करो
अरमान मासूम है मेरे
इनको बेईमान बनाया ना करो
चलते हुए यूँ अचानक
गहनों की दुकान पर रुका ना करो
उठा के तरह तरह की
बालियाँ कानो से लगाया ना करो
हर बार अपने रूप की
छटा यूँ राहों पर बिखराया ना करो
अरमान मासूम है मेरे
इनको बेईमान बनाया ना करो
आइना बन जाता है वो
रात में तुम चाँद को निहारा ना करो
तारे भी दीवाने तुम्हारे
तुम ऊँगली दिखा के उन्हें इशारे ना करो
मंद रौशनी में तुम
रातरानी की तरह महका ना करो
अरमान मासूम है मेरे
इनको बेईमान बनाया ना करो
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