About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Saturday, November 19, 2011

इश्क होने लगा है


अरमानो के सुने मकान में 
हर पल निगाहों के सामने 
दिल की तेज धडकनों में 
अब कोई रहने लगा है 
शायद ये खुमार है या फ़िर 
इश्क होने लगा है 

इत्तेफाक से कोई मिल जाये 
हर बार ऐसा होता तो नहीं 
ऐसे ही इत्तेफाक पे यकीन
ना जाने क्यूँ होने लगा है 
ये यकीन भी इत्तेफाक है या फ़िर
इश्क होने लगा है 

Tuesday, November 15, 2011

रंगरेज़ पिया

ओ रंगरेज़ पिया मुझे रंग दे 
तु अपने ही इश्क के रंग में

मंदिर मस्जिद मैं क्या जाऊ
बिकते वहाँ है कपड़े रंग बिरंगे 
बाज़ार बना कर रखा है सबने 
तेरा रंग आखिर कौन बताये
ओ रंगरेज़ पिया मुझे रंग दे 
तु अपने ही इश्क के रंग में

चमड़ी रंग दी गोरी काली
रख दिया कोरा मन मेरा 
इसको कितने रंग चढ़ाये 
फिर भी रहा ना कोई गहरा  
ओ रंगरेज़ पिया मुझे रंग दे 
तु अपने ही इश्क के रंग में