तेरी जुल्फे तेरी मुस्कराहट तेरे बहाने
तेरी अदाएं तेरे नखरे तेरे फ़साने
आज करते रहे तेरी बात चाँद के साथ
कोई पुरानी ग़ज़ल याद में तेरी
कोई अपनी ही लिखी आधी अधूरी
आज लिखते रहे नज़्म चाँद के साथ
तेरी खिड़की से नज़र आते होंगे
सारी रात पहचानते रहे ऐसे तारे
आज जागते रहे हम चाँद के साथ
रातरानी की खुशबू में जैसे खोये
चांदनी रौशनी में डुबोये हुए
आज भींगते रहे हम चाँद के साथ
उड़ते बादलो में देखी निशानी तेरी
खोजते रहे कहीं लब कहीं आँखे तेरी
आज बनाते रहे तस्वीर चाँद के साथ
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