है मौसिकी तेरी तो तेरा ही नगमा दे,
तेरे संग गाउ मैं खुदा ऐसी बंदिशे दे
मेरा जिस्म तो एक बुत है
मेरी रूह को तू सुकुन दे
है अगर सांसें तेरी तो इनको सबब दे
तुझसे मिले सकु ऐसी मुझे राहे दे
क्या करू मैं तेरी इबादत
या बन जाऊ खुद ही खुदा
है आशिकी मेरी तो इसे एक महबूब दे
देखू खुदमे तुझको ऐसी मोह्हब्बत दे
2 comments:
वैराग्य और प्रेम का सफल मिश्रण, तारतम्यता के साथ...
Ishq ki intahaan hain ye to ....
Post a Comment