कैसे कह दू क्या है होता
कैसे लिख दू प्रेम कविता
माधुर्य का पर्याय तुम्ही हो
संध्या की हो अद्भुत बेला
कुमुदनी कुसुम कहू या
कह दू चन्द्रमा की शीतलता
नैनों में लिखी एक पहेली
भावनावो की हो रंगोली
अनंत की हो जैसे रौशनी
हो मेरे ह्रदय की सहेली
तू अलबेली जो सुनना चाहे
शब्द नहीं जो वो कह पाए
कैसे कह दू क्या है होता
कैसे लिख दू प्रेम कविता
2 comments:
Loved it... hope that says everything :)
only one word for that "Fantastic"
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