गाड़ियों के आगे खड़ा सिपाही अकेला
लाल बत्ती को सब कोसे है भैया
कार की सीट पे सिमट गयी दुनिया
होर्न पर शक्ति प्रदर्शन है करते
भूल गए सब्र से इंतेज़ार करना
थोड़ी सी जगह से चाहे निकलना
सब चाहे यही तो कैसे होगा जाना
कहने को पढ़े लिखे है डॉक्टर
कोई है इंजिनियर कोई है मैनेजर
समस्या में देखो इनका योगदान
अपनी तो कार हम है बड़े इन्सान
कुछ का काम अमीरों को कोसना
अपनी स्कूटर या ऑटो खुसेड़ना
छोटे से अहंकार के सब है मारे
नियमो को पालना सिद्धांतो के परे
अपने दो मिनट की जल्दी में
दुसरो के लुटवाए दिए घंटे
गलती मान के सुधर जाये
ऐसे तो नहीं कोई नेक बंदे
कह गए सिया से देखो राम
कलजुग माने ट्रेफिक जाम
कैसे सतयुग फिर से आएगा
बेचारा किसी सिग्नल पे फँस जायेगा
1 comment:
waah bhai wah, last wala stanza to particularly kabil-e-tarif hai :-)
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