आम आदमी है नेताओ का मारा
कोई थोपा जाता हाई कमान से
कोई बन जाता प्रधानमंत्री जन्म से
जिसको कहना है वो चुप बैठ रहता
जिसको समझ नही वो काव काव है करता
किसी को अपनी बेटी की चिंता
देश की बेटिया चाहे मरती रहे
कोई लगवाता अपनी मूर्ति यहाँ वहाँ
चाहे देश की मूर्ति खंडित होते रहे
केंद्र का करते है ये विरोध
सकारात्मक विपक्ष की भूमिका
राज्यों में सरकार इनकी
लेकिन फिर भी वही पिटारा
ये कैसा है लोकतंत्र का नारा आम आदमी है नेताओ का मारा
पत्रकार एजेंट बने है और
उद्योगपति काटे जंगल
जंगल वाले चलाये गोली
हर परिवार का बेटा घायल
अपना देश अपना न रहा
गर्व था जिन शहरो पर
उन शहरो में गाव का आदमी
अब बाहरी बन है गया
वोटो ने बिगाड़ा है खेल सारा
ये कैसा है लोकतंत्र का नारा
आम आदमी है नेताओ का मारा
1 comment:
aam janta ki majburi ko bakhubi pesh kiya hai aapne...
bahut aacha!
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