About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Friday, July 02, 2010

परवाना

जादु तुम्हे कोइ आता है
या खुद्से हुआ मैं दीवाना
आखों मे तेरी कोइ नशा है
या है मेरा कोइ भुलावा

क्या है अदा तेरी ऐसी
ऐसा भी ये इश्क है क्या
मरते रहे हम हरदम
और तुमको खबर भी ना

आता है तुमको छिपाना
या फिर कोई अरमा ही नहीं
करते रहे हम इंतज़ार
और वो तेरा रास्ता ही नहीं

अब जो भी किस्मत मेरी
तुम ही हो ख्वाहिश मेरी
होगा कामयाब ये फसाना
या जल जाएगा ये परवाना

2 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया.

Sagar said...

The feeling is good but flow is bit missing in some places.