बाट मैं जोहू तोरी सैय्याँ
कहे सब होगई मैं बावरी
सब ऋतू आये जाये यहाँ
मेरे अखियन में बस पानी
प्रेम के रोग ने ऐसा जकड़ा
वैद्य खुद और खुद ही रोगी
खोयी रहु मैं ध्यान में तेरे
दुनिया समझे मैं रहु जागी
प्रीत का नाता तुझसे जोड़ा
और तु बना गया मेरा बैरी
सखिया मेरी छेड़े नाम से तेरे
और तु भुला मैं तेरी दीवानी
3 comments:
bahut khoob.
पॉल बाबा का रहस्य आप भी जानें
http://sudhirraghav.blogspot.com/
बहुत बढ़िया.
सब ऋतू आये जाये यहाँ
मेरे अखियन में बस पानी ।
वाह बिरहन को तो बरखा ही प्रिय होती है ना ?
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