सारी रात मैं सोया नही
खुली आंखों मे ही सवेरा हो गया
देखता रहा अपनी छत को
और दूसरा कुछ भी न सोच पाया
मॅन मे भी सपने देखने की हिम्मत नही थी
और दिमाग ने भी कोई दूसरी बात नही सोची
हर पल मैं दर्द सहता रहा
अपने जिस्म के अन्दर उस ज़हर का
कभी सिकुदन सी थी मेरी आंतो मे
कभी खून कही रुक रहा था
साँसें भी अन्दर ही गुम हो जाती
ज़ोर मुझे बाकी न था
सारी रात मैं सोया नही
खुली आंखों मे ही सवेरा हो गया
(It was the suicidal note of the protagaonist)
2 comments:
yaar i really like the dark side of normal human being....
this one is just tooo goood..
bhai, depressed aadmi ki feelings ko kafi sahi tarike se bataya ..
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