About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Wednesday, October 18, 2006

my gloomy sunday

सारी रात मैं सोया नही
खुली आंखों मे ही सवेरा हो गया
देखता रहा अपनी छत को
और दूसरा कुछ भी न सोच पाया
मॅन मे भी सपने देखने की हिम्मत नही थी
और दिमाग ने भी कोई दूसरी बात नही सोची
हर पल मैं दर्द सहता रहा
अपने जिस्म के अन्दर उस ज़हर का
कभी सिकुदन सी थी मेरी आंतो मे
कभी खून कही रुक रहा था
साँसें भी अन्दर ही गुम हो जाती
ज़ोर मुझे बाकी न था
सारी रात मैं सोया नही
खुली आंखों मे ही सवेरा हो गया


(It was the suicidal note of the protagaonist)

2 comments:

Unknown said...

yaar i really like the dark side of normal human being....

this one is just tooo goood..

main_sachchu_nadan said...

bhai, depressed aadmi ki feelings ko kafi sahi tarike se bataya ..