किताबो में नहीं छपते
मुशायरो में सुनाये नहीं जाते
किसी शेर के शक्ल में सामने भी नहीं आते
शायर के अफसाने तो अक्सर अधूरे ही रह जाते
जब भी कहने को सोचते
किसी और की ही बात कर जाते
कुछ तो बाक़ी रह जाता हैं जो भी कहते
शायर के अफसाने तो अक्सर अधूरे ही रह जाते
नज्म में कोई नाम छुपा दे
फिर उसे चाहने वालो को सुना दे
उसने सुना होगा कि नहीं बस यही सोचते
नज्म में कोई नाम छुपा दे
फिर उसे चाहने वालो को सुना दे
उसने सुना होगा कि नहीं बस यही सोचते
शायर के अफसाने तो अक्सर अधूरे ही रह जाते
2 comments:
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Angela
angelabrooks741 gmail.com
Ji jai guru ji
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