एक ख्याल की जगह हो गयी खाली
जो बात हुई आज पुराने दोस्तों से
अब पता चला उठ गयी उनकी डोली
अरमान थे रोशन मेरे जिनके खयालो से
हमने सुना दुल्हन के लिबाज़ में
उस दिन खूब लग रही थी वो
मेहमानों के भीड़ में जाने
पहचाने चेहरे खोज रही थी वो
जब देखा मेरे दोस्त को
पलकों से ये बात बतायी उसने
नदी जो तैर आयी आखों में
उसमे दो बुँदे भी है मेरे लिए
अब जाना वो भी रोये थे याद करके हमे
अरमान थे रोशन मेरे जिनके खयालो से
इतने भी दिन तो नहीं हुए
अपना शहर हमे छोड़े हुए
जैसे कल ही उसके घर पर
गए थे कोई बहाना करके
मजाक में उसने कही थी शादी की बात
हमे लगा था हमे रोकने के है तरीके
काश कुछ और पल उनसे चुराए होते
अरमान थे रोशन मेरे जिनके खयालो से
(हमारे एक मित्र को समर्पित )
1 comment:
sahi hai dost ... mast hai :-)
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