गीली ठण्ड को महसुस करते है
पानी को छुना पाँव भूले नहींउंगलियों में रेत छुपा के लाते है
लहरों से चोरी करना भूले नहीं
सम्हलने की कोशिश करते है
चट्टानों पे खड़ा होना भूले नहीं
कंकडो से साफ़ जगह देख लेते है
पत्थरो की पहचान भूले नहीं
भागने की होड़ में चल नहीं पाते
कदमो के निशान छोड़ना भूले नहीं
भूले नहीं थे कुछ भी मेरे पाँव
बस इन जूतों में बंधे रहते थे
Photo courtesy of Hari
3 comments:
पर बंधे रहना ही सब से बड़ी भूल बन जाए न -इसलिए वोह यादें ताज़ा कर लें - बहुत सुन्दर भाव !
amazing ... I really liked the way it ended.
Thanks Varsha and Sachin
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