एक दिन सुबह माता ने फ़ोन घुमाया
और लड़की देखने का फरमान सुनाया
हम तो अभी उठे है नहाने का प्लान बनाया है
और उसके बाद हमे अभी ऑफिस भी जाना है
जो उनको समझाया तो बोली वहा भी चले जाना
उससे मिलो पहले जिससे तुम्हे है मिलवाना
जमाना अब नया है मिलने का तरीका भी नया
घर में चाय नहीं किसी कॉफ़ी शॉप में ही बुला लिया
मेनू को देखकर वो उसमे जो थेसिस करने लगी
हमने उन्हें याद दिलाया ये पहली मुलाक़ात है अपनी
अभी तुम पचास रुपये ही क्वालीफाई कर पाई हो
जो महंगा है खाना तो खर्च करो जो अपने पैसे लाई हो
हर मुलाक़ात के बाद तुम्हारा बजेट बढ़ाएंगे
MBA किया है कभी तो दिमाग लगायेंगे
खाने का नाम सुनकर वो बोली
अभी बना लेती हु चाय और मैग्गी
कुछ दिन उसपर काम चलाना होगा
कभी मेरी तो कभी तुम्हारी माँ को गेस्ट बनाना होगा
होता काम बहुत है शुक्रवार तक
मूवी हम शनिवार को ही जायेंगे
तुम्हारे कार्ड में थोड़ी सी शापिंग
और वीकेंड खाना बाहर ही खायेंगे
गृहस्थ जीवन का ऐसा सुन्दर सपना
हम दोनो ने जो मिल जुल के देखा
एक कॉफ़ी में ही बात जम गयी
और पिज्जा खाने की रकम बच गयी
आमंत्रण के नाम पर
फेसबुक में एक इवेंट बना दिया
और शादी की जगह
फेसबुक का स्टेटस बदल दिया
अब हम जीवन जन्मान्तर के साथी है
पांच दिन ऑफिस के और दो दिन अपने खातिर है
8 comments:
This is how people meet now days to select their life partner...
but first impression is last impression Omi ji... first time kharche me kanjoosi maat karo ;)
good try :)
haha...wonderfully penned!
yes, this is the way things move in todays world...ab aap ko bhi aise hi kaam chalana hoga :P
itni achi poem...hum to aapke follower hogaye ab se :))
sarah
thanks both of u :)
like it...
dil ki baat kalam pe le aaye op bhaiya :)
Bhai, ekdam todu .. majaa aa gaya :-)
I like your posts very much sir ji.......
Ek suggession hai.......
Apke blog ka address.....'opwrite' nahi balki 'oprocks' hona chahiye.......
Thanks a lot Ashwin, Samir, Sachin and Ravi..
Hope I will keep posting and you keep reading :)
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