About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Saturday, March 12, 2011

वो शाम

राह तो तुमने देर तक देखी होगी
मुझसे लड़ने की जरुर ठानी होगी
लेकिन मेरे ना आ पाने के फ़िर भी
कुछ बहाने कुछ वजहे सोची होगी
खत्म ना हुआ होगा तेरा इंतेज़ार
वो शाम जो अब तक है उधार

किसी फूल की खुशबू ने तुमको
फ़िर से यादो में ठकेला होगा
एक ही सवाल के जवाब ने तुमको
फ़िर से कई सवालो में घेरा होगा
उसने बनाया होगा फ़िर से लाचार
वो शाम जो अब तक है उधार

उन राहों पर जो फ़िर से चल पाता
सही गलत की जो जिरह कर पाता
लम्हों का हिसाब जो मैं रख पाता
अपना हर क़र्ज़ जो अदा कर पाता
तो दे जाता तुम्हे ये अनुपम उपहार
वो शाम जो अब तक है उधार

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