मालुम न था यह बात इतनी बिगड़ जायेगी
दो पल कि यह दुरी इतनी बड़ी हो जायेगी
रोका नही था यह सोच कर
ख़ुद ही लौट आयोगे
मेरे नही तो कम से कम
अपने दिल की ही मान लोगे
मालुम न था दिल की बात बेअसर हो जायेगी
दो पल कि यह दुरी इतनी बड़ी हो जायेगी
हम जो देना चाहे आवाज़
तो तुम हो जाने कहा
परछाइंया भी न आए नज़र
अँधेरा यह छाया कैसा
मालुम न था प्यार कि रौशनी मद्धम हो जायेगी
दो पल कि यह दुरी इतनी बड़ी हो जायेगी
2 comments:
very true. , ..
very true. , ..
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