About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Friday, April 14, 2006

khanabadosh

चल रहे है राहों मे
मंजिले अभी दूर है
देता है जो ज़माना हमको
वह कहा मंज़ूर है
है अपने खाव्बो का नशा
अब किसे यहा होश है
ज़िंदगी है एक कारवा
और हम खानाबदोश है

1 comment:

main_sachchu_nadan said...

Subhan allah!!Kya azim peshkash hai.Padhkar dil bag-bag ho gaya!!