आये हैं हमारे आंगन
रुई से चमकते बादल
जैसे धो के अभी सुखाया हैं
गगन भी जैसे अभी ही नहाया हैं
अच्छी खुशबू आती मिट्टी से
पानी की बुँदे लटकी पत्ती से
देखो जैसे सूरज टुट गया बूंदों में
और ये बुँदे ही फैलाती रौशनी जग में
छोटी छोटी नदियाँ बहती
आंगन में चांदी सी चमकती
बारिश के बाद बतलाओ
धुप होती हैं क्यूँ इतनी उजली
अम्मा बाहर तो निकलो
देखो आयी धुप बारिश में धुली