हृदय की वेदना यु न जाना करो
कुछ सूखे कुछ गिले कागज है
तुम इनको यु न छुआ करो
कितनी बार कहा है तुमसे
मेरी कविताये यु न पढ़ा करो
रातकली तुम स्वप्न में मिली
स्वप्न की बाते न किया करो
भोर की किरणों से न बच पाया
उस सपने के बारे में न पूछा करो
कितनी बार कहा है तुमसे
मेरी कविताये यु न पढ़ा करो
न कोई छंद न कोई अलंकार
सजावट की यु न आशा करो
जो याद आये वो लिख पाए
सभी बातो की यु न बाते करो
कितनी बार कहा है तुमसे
मेरी कविताये यु न पढ़ा करो
1 comment:
Jai Ho, Jai Ho ...
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