मेरी ज़िंदगी मुझे दूर ले आई
मेरा न कोई माजी रहा
हर कोशिश होती गई कामयाब
मेरा न कोई रास्ता रहा
मंजिले मिलती रही हरदम मुझे
खवाब होते रहे उम्मीदों से बड़े
ज़िंदगी मुड्गायी जिस तरफ़ देखा
मेरा न कोई मंजर रहा
यार सब कही खो से गए
प्यार किताब मे दब से गए
मशरुफ़ रहा कागजों मे इतना
मेरा न कोई अहसास रहा
दिल चाहे रोना तो कोना कहा है
जिसपे रखे सिर वह कन्धा कहा है
मिलता रहा इतनो चेहरों से रोज़
मुझे कोई चेहरा याद न रहा
मेरी ज़िंदगी मुझे दूर ले आई
मेरा न कोई माजी रहा
हर कोशिश होती गई कामयाब
मेरा न कोई रास्ता रहा
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