ढलती रही मेरी उमर धुप की तरह
आई नज़र ज़िंदगी एक दिन शाम की तरह
जब देखा पीछे तो घर नही था
कोई रास्ता कोई नुक्कड़ नही था
बस हाथ उठाया जो किसी के तरफ़
लौट आया ख़ुद ही कटी पतंग की तरह
मेरे बचपन मेरे जवानी की
जैसे कोई अधूरी कहानी सी
कितने बाते याद आने लगी
सब यू ही आखें गीली करनी लगी
छुने की कोशिश जो की एक अहसास को
उड़ गया वह किसी खुशबू की तरह
आज मेरी तरह यहा और भी है
सबके कल थे अलग आज एकसे है
हर किसी ने कुछ पाया था कभी
आज सब है खाली मुठी की तरह
ढलती रही मेरी उमर धुप की तरह
आई नज़र ज़िंदगी एक दिन शाम की तरह
About Me
- ओमी
- I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me
Tuesday, February 13, 2007
Friday, February 02, 2007
you n me
you are the son of the king
and you may think
this world is so great
everyone is here friend
they offer u sweets
when you comes on streets
I m the son of a farmer
for me this world is harder
when I wander in roads
they call me ghost
when I look into there shops
they show me way to rocks
and you may think
this world is so great
everyone is here friend
they offer u sweets
when you comes on streets
I m the son of a farmer
for me this world is harder
when I wander in roads
they call me ghost
when I look into there shops
they show me way to rocks
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