ये दिल
हैं मुश्किल
तुझे समझाना
मिलेगी
जहाँ ठोकर
फिर वहां क्यों जाना
जो दीखता हैं सच सा
वो सच तो नहीं हैं
जो लगता हैं अपना सा
वो अपना तो नहीं हैं
फिर कोई नया झूट
आया हैं सवंर के
इससे तू बच के रहना
कहने को हैं वादे
बस कह के ही रह जाते
और तू हैं कि सजा ले
दुनिया अपनी उनके भरोसे
कैसे समझाऊ तुझे
सिर्फ बातें हैं ये सारी
इनके फेरो में तू न आना
ये दिल
हैं मुश्किल
तुझे समझाना
टुटा जो
फिर से तू
मुझे ही हैं तुझे मनाना