About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Monday, January 28, 2013

कभी कभी -2

यु तो दिन निकल जाता हैं
रोज़ के कामो में
खुश रहता हैं दिल अब
जिंदगी के नए आयामों में
कभी गुज़रे हुए मौसम की
कोई लम्हा याद दिला जाता हैं
यहाँ तो उस मौसम को गुज़रे सालो हुएं
वहाँ कौनसा मौसम होगा
कभी कभी मेरी दिल में ख्याल आता हैं 
 
क्या अब भी पढते हों
मेरे खत अकेले में
या भीगी हवा में उड़ा चुके हों
उनके पुर्जे
क्या संभाल के रखा होगा
मेरी निशानी को
या फिर जला आये होंगे
किसी वीराने में
मैं कुछ भी संग नहीं लायी 
यादों का एक पुलिंदा 
चोरी चुपके न जाने कैसे 
मेरे साथ चला आया  
अपनी यादों के साथ  
तुमने क्या किया होगा
कभी कभी मेरी दिल में ख्याल आता हैं 
 
अब तक तो मुझको भुला दिया होगा
या फिर बेवफा का ख़िताब दे दिया होगा
ये भी अच्छा हैं कहोगे बेवफा तो खुश रहोगे
जान के अब मेरी मज़बूरी भी क्या करोगे
या फिर अभी तक उलझे होंगे कुछ सवालों में
आखिर क्या किया होगा
कभी कभी मेरी दिल में ख्याल आता हैं 
 
 
 
 

Monday, January 21, 2013

कभी कभी


मुझसे तेरा दूर होना
तेरी शरारत हैं 
मुझसे बात ना करना
तेरी शरारत हैं 
मुझे किसी मोड़ पे रोके करना
तेरी शरारत हैं    
मैं जानता हूँ कि ये भुलावा हैं
मगर यूँ ही   
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता हैं 

ख्वाबों की तस्वीर 
दिल से निकल कर 
दीवारों पर लग भी सकती थी 
ख्यालो का फलसफ़ा 
ज़ेहन से निकल कर 
ज़ुबा पे हों भी सकता था 
मैं जानता हूँ कि ये हों न सका
मगर यूँ ही 
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता हैं 

शायद कोई खत हों कहीं
जो मुझ तक पहुंचा नहीं 
या फिर कोई इशारों की बात 
जिसको मैं समझा नहीं 
शायद आज भी तुझे उम्मीदे हैं 
कि मिल जाये हम फिर से कहीं 
मैं जानता हूँ कि ऐसा कुछ भी नहीं 
मगर यूँ ही 
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता हैं 


अब शिकवा नहीं शिकायत नहीं 
किसी पुराने सवाल का जवाब भी नहीं 
तेरी ख्वाहिशों से गुज़र कर 
अब दिल को कोई गम भी नहीं
अंधेरो में सिमटी ये रात 
इसको अब सवेरे का इंतेज़ार भी नहीं 
मैं जानता हूँ कि अब तू गैर हैं  
मगर यूँ ही 
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता हैं