अरमानो के सुने मकान में
हर पल निगाहों के सामने
दिल की तेज धडकनों में
अब कोई रहने लगा है
शायद ये खुमार है या फ़िर
इश्क होने लगा है
इत्तेफाक से कोई मिल जाये
हर बार ऐसा होता तो नहीं
ऐसे ही इत्तेफाक पे यकीन
ना जाने क्यूँ होने लगा है
ये यकीन भी इत्तेफाक है या फ़िर
इश्क होने लगा है