About Me

I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me

Thursday, November 19, 2009

किनारा

कोई यु ही सूरज डूबा रहा था
था कोई खोया किसी की बाहों में
कोई फिर से बचपन जी रहा था
था कोई किसी के इंतज़ार में
मैं भी वजह खोज रहा था
अपने वहा इस तरह होने की .......

कभी तोलते थे रेत मुठियों में
था लिखा नाम कभी रेत में
जो भी लिखा था कभी प्यार से
वो अब लहरों में कही बह गया
मैं वही रेत खोज रहा था
फेकी थी जो तुने मुझपे

कभी थे कहते सपने कल के
कभी थे बहाने देर से आने के
चुप कही बैठे रहते कभी तो
शोर कभी सुनते लहरों के
मैं वही अलफ़ाज़ सुन रहा था
जो कभी खामोश थे

अब कोई सूरज डूबा चूका था
कर रहा था कोई वादा मिलने का
मैं भी वजह खोज रहा था
अपने वहा से अब जाने की ....

1 comment:

main_sachchu_nadan said...

Sahi hai ... main bhi wajah khoj raha hu, apne yaha is tarah hone ki :-)