About Me
- ओमी
- I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me
Thursday, September 11, 2008
ख्वाहिश
बंद हो पलके तेरी फिर भी बंद आखों मे नेह हो
दुर हो मुझसे तू कही फिर भी पहुचने कि राह हो
है खवाहिश है कि दिल को ख्वाहिश करने कि इजाजत हो
ना हो साथ तेरा ज़िन्दगी फिर भी जीने कि मुझे आदत हो
ना हो कोई हक़ तुझपे फिर भी जिद करने का हक़ हो
सच हो तेरा कठोर फिर भी भ्रम मेरा खुबसूरत हो
है सवाल यही कि दिल को सवाल करने कि इजाजत हो
तु कुछ न कहे जिंदगी फिर भी खामोशी जवाब हो
हो तेरे लाख बहाने फिर भी वजह मेरी वाजिब हो
हो तेरे हमसफ़र और भी लेकिन रस्ते मेरे जानिब हो
है इन्तजार यही कि इन्तजार करने कि इजाजत हो
तु न आए ज़िन्दगी फिर भी मेरे रुकने कि वजह हो
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