About Me
- ओमी
- I write poems - I m going towards me, I write stories - किस्से ओमी भैय्या के, I write randomly - squander with me
Thursday, September 11, 2008
ख्वाहिश
बंद हो पलके तेरी फिर भी बंद आखों मे नेह हो
दुर हो मुझसे तू कही फिर भी पहुचने कि राह हो
है खवाहिश है कि दिल को ख्वाहिश करने कि इजाजत हो
ना हो साथ तेरा ज़िन्दगी फिर भी जीने कि मुझे आदत हो
ना हो कोई हक़ तुझपे फिर भी जिद करने का हक़ हो
सच हो तेरा कठोर फिर भी भ्रम मेरा खुबसूरत हो
है सवाल यही कि दिल को सवाल करने कि इजाजत हो
तु कुछ न कहे जिंदगी फिर भी खामोशी जवाब हो
हो तेरे लाख बहाने फिर भी वजह मेरी वाजिब हो
हो तेरे हमसफ़र और भी लेकिन रस्ते मेरे जानिब हो
है इन्तजार यही कि इन्तजार करने कि इजाजत हो
तु न आए ज़िन्दगी फिर भी मेरे रुकने कि वजह हो
Wednesday, July 16, 2008
काश
कोई खवाब देखे तू ऐसा
जो मुझ बिन लगे अधुरा
कोई मांगे तू ऐसी दुआ
जिसमे हो नाम मेरा
ये काश की तुझे भी मोह्हबत होजाए
चलने लगे तेज तेरी सांसें
दिल भी बेचैनी मे धड़के
कही मन तेरा न लागे
युही बेवजह तू मुसुकुराए
ये काश की तुझे भी मोह्हबत होजाए
रातो को गिने तारे
चाँद अपना सा तुझे लागे
आईने से करे बाते
भीड़ भी रहे अकेले
ये काश की तुझे भी मोह्हबत होजाए
जुबा कुछ न कह पाये
निगाहे कहदे सारी बाते
हम समझे तेरे इशारे
फिर भी बनाये बहाने
ये काश की तुझे भी मोह्हबत होजाए
जो मुझ बिन लगे अधुरा
कोई मांगे तू ऐसी दुआ
जिसमे हो नाम मेरा
ये काश की तुझे भी मोह्हबत होजाए
चलने लगे तेज तेरी सांसें
दिल भी बेचैनी मे धड़के
कही मन तेरा न लागे
युही बेवजह तू मुसुकुराए
ये काश की तुझे भी मोह्हबत होजाए
रातो को गिने तारे
चाँद अपना सा तुझे लागे
आईने से करे बाते
भीड़ भी रहे अकेले
ये काश की तुझे भी मोह्हबत होजाए
जुबा कुछ न कह पाये
निगाहे कहदे सारी बाते
हम समझे तेरे इशारे
फिर भी बनाये बहाने
ये काश की तुझे भी मोह्हबत होजाए
Monday, June 30, 2008
क्या कह रहा हु मैं
उड़ जाने दे तू हवाओ के संग
नापू गगन मैं बन के पतंग
दिल ही तो तेरा हु खो जाने दे
मुझको किसी का हो जाने दे
सुन भी ले क्या कह रहा हु मैं
कौन जाने है पानी कितना गहरा
यु ना तू डर लगाने दे गोता
मिले भी न जो मोती तो क्या है
डूबने का भी है अपना मज़ा
सुन भी ले क्या कह रहा हु मैं
बारिश का देखना चाहे तू नज़ारा
रेगिस्तान मे फिरे क्यों मारा मारा
मौसमो का ना कर इंतज़ार
कर भरोसा मैं लाऊंगा बहार
सुन भी ले क्या कह रहा हु मैं
नापू गगन मैं बन के पतंग
दिल ही तो तेरा हु खो जाने दे
मुझको किसी का हो जाने दे
सुन भी ले क्या कह रहा हु मैं
कौन जाने है पानी कितना गहरा
यु ना तू डर लगाने दे गोता
मिले भी न जो मोती तो क्या है
डूबने का भी है अपना मज़ा
सुन भी ले क्या कह रहा हु मैं
बारिश का देखना चाहे तू नज़ारा
रेगिस्तान मे फिरे क्यों मारा मारा
मौसमो का ना कर इंतज़ार
कर भरोसा मैं लाऊंगा बहार
सुन भी ले क्या कह रहा हु मैं
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